#Recent Entries (Atom) Recent Entries (RSS) Recent Comments (Atom) Recent Comments (RSS) [p?c1=2&c2=6036484&cv=2.0&cj=1] [topcnt?CHUR=readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com&nojs=1] ____________________ [5886617.cms] Indiatimes | The Times of India | The Economic Times | नवभारत टाइम्स | More [5848326.cms] More [5848326.cms] [5722470.cms] [5552760.cms] [5552682.cms] हेडलाइन्स [2464446.cms] [2449325.cms] ब्लॉग्स * होम * भारत * दिल्ली * मुंबई अन्य शहर * दुनिया * खेल * भविष्य-दर्शन * क्रिकेट * मूवी-मस्ती * हंसी-मज़ाक * ब्लॉग्स विचार मंच बिज़नस घर-परिवार ऑटो-टेक फोटो धमाल विडियो लाइव टीवी [2449325.cms] * ब्लॉग होम * अपना ब्लॉग * मेरी खबर * राजनीति * देश-दुनिया * कल्चर * रिश्ते-नाते * साइंस-टेक्नॉलजी * मनोरंजन * साहित्य * खेल * अन्य * ब्लॉग Helpline | [feeds.gif] सबस्क्राइब करें [spacer.gif] बुनियाद [AnwarJamalKhan_new.jpg] नास्तिकता का ढोंग रचाते हैं कुछ बुद्धिजीवी डा. अनवर जमाल ख़ान Tuesday October 11, 2011 Tweet 24 [commentBu.gif] जैसे लोग आस्तिकता का ढोंग करते हैं और लोग उन्हें आस्तिक समझ लेते हैं, ऐसे ही कुछ लोग नास्तिकता का ढोंग करते हैं और लोग उन्हें नास्तिक समझ लेते हैं। कुछ लोग आस्तिक होने का दावा करते हैं और काम नास्तिकता के करते हैं, ऐसे ही कुछ लोग नास्तिक होने का दावा करते हैं लेकिन धार्मिक परंपराओं का पालन करते हैं। किसी भी बूढे नास्तिक के बच्चों के जीवन साथियों को देख लीजिए, अपने बच्चों का विवाह वह उसी रीति के अनुसार करता है, जो कि उसके पूर्वजों का धर्म सिखाता है और जिसके इन्कार का दम भरकर वह बुद्धिजीवी कहलाता है। नास्तिकों को भी आजीवन अपने बारे में यही भ्रम रहता है कि वे नास्तिक हैं, जब कि वे भी उसी तरह के पाखंड का शिकार होते हैं, जिस तरह के पाखंड का शिकार वे आस्तिकता के झूठे दावेदारों को समझते हैं। ... ऐसे कई ब्लॉग हैं जहां संयमित भाषा में तर्क-वितर्क होता है। धन्यवाद ! हमारे यह विचार निम्न पोस्ट पर हैं : ईश्‍वर के अस्तित्‍व पर सवाल उठाता 'नास्तिकों का ब्‍लॉग' ('जनसंदेश टाइम्स', 05 अक्‍टूबर, 2011 के 'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा) दुनिया के समस्‍त धर्म ग्रन्‍थ मुक्‍त कंठ से ईश्‍वर की प्रशंसा के कोरस में मुब्तिला नजर आते है। उनका केन्द्रीय भाव यही है कि ईश्‍वर महान है। वह कभी भी, कुछ भी कर सकता है। एक क्षण में राई को पर्वत, पर्वत को राई। इसलिए हे मनुष्‍यो, यदि तुम चाहते हो कि सदा हंसी खुशी रहो, तरक्‍की की सीढि़याँ चढ़ो, तो ईश्‍वर की वंदना करो, उसकी प्रार्थना करो। और अगर तुमने ऐसा नहीं किया, तो ईश्‍वर तुम्‍हें नरक की आग में डाल देगा। और लालच तथा डर से घिरा हुआ इंसान न चाहते हुए भी ईश्‍वर की शरण में नतमस्‍तक हो जाता है।लेकिन दुनिया में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं, जो ईश्‍वरवादियों के रचाए इस मायाजाल को समझते हैं। ऐसे लोग वैचारिक मंथन के बाद इस नतीजे पर पहुँचते हैं कि ईश्‍वर आदमी के मन की उपज है और कुछ नहीं, जिसे मनुष्‍य ने अपने स्‍वार्थ के लिए, अपनी सत्‍ता चलाने के लिए सृजित किया है। ऐसे लोग विश्‍व प्रसिद्ध दार्शनिक नीत्‍शे के सुर में सुर मिलाते हुए कहते है- ‘मैं ईश्वर में विश्‍वास नहीं कर सकता। वह हर वक्त अपनी तारीफ सुनना चाहता है। ईश्वर यही चाहता है कि दुनिया के लोग कहें कि हे ईश्वर, तू कितना महान है।’ नास्तिकता का दर्शन भारत में ‘लोकायत’ के नाम से प्रचलित रहा है। ‘लोकायत’ के अनुयायी ईश्वर की सत्ता पर विश्‍वाश नही करते थे। उनका मानना था की क्रमबद्ध व्यवस्था ही विश्व के होने का एकमात्र कारण है, एवं इसमें किसी अन्य बाहरी शक्ति का कोई हस्तक्षेप नही है। कहा जाता है कि भारतीय दर्शन की इस परम्परा को बलपूर्वक नष्ट कर दिया गया। उसी परम्‍परा, उसी दर्शन को आगे बढ़ाने क काम कर रहा है ‘नास्तिकों का ब्लॉग’ (http://nastikonblog.blogspot.com), जोकि एक सामुहिक ब्‍लॉग है। ‘नास्तिकों का ब्लॉग’ एक ऐसे लोगों का समूह है, जो नास्तिकता में विश्‍वास करता है। इस ब्‍लॉग के संचालकों का मानना है कि नास्तिकता सहज स्वाभाविक है, प्राकृतिक है। उनका कहना है कि हर बच्चा जन्म से नास्तिक ही होता है। धर्म, ईश्वर और आस्तिकता से उसका परिचय इस दुनिया में आने के बाद ही कराया जाता है, इसी दुनिया के कुछ लोगों के द्वारा। ब्लॉग के संचालक इसके निर्माण के पीछे का उद्देश्‍य बताते हुए कहते हैं- ‘हमारा प्रयास मानवतावादी दृष्टिकोण को उभारने का रहेगा, जो किसी सम्‍प्रदाय अथवा धर्म के हस्तक्षेप से मुक्त हो।’ साथ ही वे यह भी कहते हैं कि अगर आप ईश्‍वर की सत्‍ता में विश्‍वास नहीं रखते हैं, तो आपका इस ब्‍लॉग में स्‍वागत है। लेकिन अगर आप आस्तिक हैं, तो भी आप हमसे इस ब्‍लॉग पर आकर तर्क-वितर्क कर सकते हैं। यहाँ पर शर्त सिर्फ इतनी है की भाषा अपशब्द एवं व्यक्तिगत आक्षेपों से मुक्त होनी चाहिए। यह हिन्‍दी का इकलौता ब्‍लॉग है, जहाँ पर तर्क-वितर्क हो���ा है और वाद-विवाद भी होता है पर सब कुछ बेहद संयमित और जीवंत रूप रूप में। ईश्‍वर के समर्थन और विरोध में जितने तर्क हो सकते हैं, वे यहाँ देखने को मिलते हैं। Source : http://vedquran.blogspot.com/2011/10/blog-post.html इस पोस्ट में व्यक्त विचार ब्लॉगर के अपने विचार है। यदि आपको इस पोस्ट में कही गई किसी भी बात पर आपत्ति हो तो कृपया यहाँ क्लिक करें| इस पोस्ट पर टोटल (24) कॉमेंट | दूसरे रीडर्स के कॉमेंट पढ़े और अपना कॉमेंट लिखे| यदि आपको कॉमेंट भेजने में कोई दिक्कत आए तो हमें इस पते पर बताएं -- apnablog@indiatimes.com शेयर करें | बुकमार्क / शेयर करें [photo.cms?msid=3406790] Hotklix this Google Bookmarks Facebook Yahoo MyWeb StumbleUpon Reddit और>> रेटिंग (वोट देने के लिए कर्सर स्टार पर ले जाएं और क्लिक करें) इस आर्टिकल को ट्वीट करें। इस आर्टिकल को ट्वीट करें। ये पोस्ट भी पढ़ें * जानिये कि राष्ट्र गान का अर्थ क्या है ? * आईये, सारे संकटों के मूल पर मिलकर प्रहार करें इस पोस्ट पर आनेवाले कॉमेंट मंगाने के लिए सब्स्काइब करें। कॉमेंट: छांटें: सबसे नया | सबसे पुराने | पाठकों की पसंद (11) | सबसे ज्यादा चर्चित | लेखक के जवाब (11) __________________________________________________________________ raj.hyd का कहना है: October 14,2011 at 04:35 PM IST माननीय अनवर जी , अपने जो सायं भाषी पेश किया है, वह आप 14 शताब्दी का स्वीकार भी कर रए ही संभव है की मुग्लोके मध्यम से उसमे जोड़ा गया हो ! जो हमने प्रश्न किए उसका जवाब आपने नही दिया रही बात क़ुरान की ! जब आप ब्लाक मे क़ुरान का जीकर करेंगे उसके प्रचारक बनेंगे तब कोई पाठक उससे प्रश्न रख सकता है उसका उत्तर देना आपका दायित्व है ! जब कोई पुरान पंथी या बाइबिल पंथी यहाँ पर ब्लाक लिखेगा तब हम इससे प्रश्न कर सकेंगे ! यह कौन सा तर्क हुआ की आप क़ुरान पर प्रश्न क्यो करते है / यही बात हम आपसे बबी कह सकते है की आप क़ुरान की तारीफ क्यो करते है ? जब आपको क़ुरान की तारीफ करने का पूरा अधिकार है वैसे ही हमको उस प्पर संदेह व्यक्त करने का भी पूरा अधिकार है आप सार्वजनिक जगह बैठ करके अपनी बात रख रहे है हाँ अगर आप अपने घर के अंदर या किसी मस्जिद मे अपनी बात रखते तब हम आपके घर मे या मस्जिद मे घुस कर संदेह प्रकट नही करते ! यह भारत देश है कोई सऊदी अरब नही है ! जहाँ केवल मुस्लिम नियम ही चलेंगे ! आपको क़ुरान पर प्रश्न करने मे तकलीफ़ क्यो होती है ? ज़रा यह भी तो बतलाइए ? अपने आस्था इतनी कमजोर क्यो बनाई जिसका आपको नाम लेना पड़ता है ? क्या आपकी आस्था एक पतले शीशे के समान है ? जो ज़रा सी छुईमुई की तरह चटक जाती है ! हम चाहेंगे की आप 24 कैरेट सोने की तरह आस्था बना लीजिए , जिसे उसकी कीमत हमेशा बढ़ती जाएगी ! और जो भी समुदाय आस्था की बात करतेहै उनसे भी हम यही चाहेंगे की वह भी अपनी आस्था काँच के बजाए 24 कैरेट सोने की बना ले ! क्योकि बार बार उनकी आस्था छुई मुई की तरह आहत न हो ?और हमारी तो आस्था काँच की तरह नही है तभी हम अपनी बात यहाँ पर रख पाते है ! जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (0) इस कॉमेंट से असहमत (0) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (0) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। raj.hyd का कहना है: $var October 12,2011 at 10:50 AM IST परम आदरणीय श्री अनवर जीजो हमने प्रश्न यहा उठाए है उनका तो आपने जवाब नही दिया !जबकि हमने आपके प्रश्नो का जवाब दिया है ! बाकी भाषण बाजी अपनी ज़रूर कर दी ! बतलाइए इस्लाम पर प्रश्न कहाँ से करे,किस जगह से शुरुआत करे ! हम किसपरिवार मे पैदा हुए यह मुख्य प्रश्न नही है और आप हमारे परिवार मे न जन्म ले पाएँगे ! हमारे कौन से मित्र है यह भी मुख्य बात नही है हाँ जो हमारे मित्र होंगे उनसे आप भी दोस्ती कर सकते है ! लेकिन वह भी मुख्य बात नही है ! आप के जो मित्र है जहाँ पर उठते बैठते है वहाँ पर ज़रूर यह सिखाया जाता होगा की दुनिया मे सब कुछ क़ुरान है ! हमने स्वयं क़ुरान को पढ़ा हैहिन्दी भाषा मे ! जो मुस्लिम विड्वानो ने क़ुरान को हिन्दी भाषी लोगो को क़ुरान की सामग्री दी है उसका परिचय कराया है उससे पढ़ कर हम प्रश्न यहाँ करते है अगर वह क़ुरान सही नही है अपूर्ण है, ग़लत है तब हमारे प्रश्नभी ग़लत होंगे, ! तब भी हमारी ग़लती नही होगी उस क़ुरान की होगी ! आप चाहे तो सभी हिन्दी भाषी या गैर अरबी क़ुरान को नष्ट कर सकते है ! झूठी कह सकते है उसको प्रमाण के तौर पर न मानने की भी बात कर सकते है ! आप यह भी कह सकते है , जो प्रश्न करने हो अरबी भाषा मे करे , वह प्रमाण मे होगा ! यह आपकी आज़ादी है ! बतलाइए महा भारत मे लाखो मनुष्य मारे गये कितनी महिलाए सती हुई थी ? अशोक के राज्य मे जो युद्ध हुआ था तब कितनी महिलाए सती हुई थी, चंद्र गुप्त के राज्य मे युद्ध हुआ कितनी महिलाए सती हुई, और यहाँ तक की अंग्रेज़ो के समय मे झाँसी की रानी भी महिला होकर युद्ध के मैदान मे संघर्ष किया कुछ पुरुष भी मरे होंगे क्या उनकी पत्नियो ने सती होना पसंद किया ? हाँ मुगलो के अत्याचार से बचने के लिए बलात्कार से बचने के लिए, उनके हरम की शोभा बनने से बचने के लिए महिलाओ ने डर के मारे अपने को सती ज़रूर कर लिया! क्योकि उनके पास हथियार चलाने का हुनर नही था,इसलिए संघर्ष के मैदान मे नही जा सकती थी !आज कितनी महिलाए सती हो रही है ! हर समुदाय मे कुछ न कुछ कमी होती है , लेकिन भारतीय सभ्यता मे इसका परिष्कार की संभावना भी होती है और बहुत से लोग निंदा के स्वर भी उठाते है ! उसको सुधारते भी है ! यह बदलाव का तरीका ! जिसकीहिम्मत आपका समुदाय नही कर पाता ! जब ईश्वर ने सूर्य एक बनाया ,चन्द्रमा आदि भी एक बनाए तब तथाकथित धर्म की अनेक किताबे क्यो बना दी? जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (1) इस कॉमेंट से असहमत (0) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (0) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। (raj.hyd को जवाब )- keshav, b.v delhi का कहना है: October 12,2011 at 04:52 PM IST राज जी, इस्लाम मे सुधार की कोई गुंजाइश नही है| क़ुरान मे जो एक बार लिख दिया उसे बदलने की हिम्मत कोई नही कर सकता अगर किसी ने की भी तो उसे जान से मार दिया गया|हाल मे पाकिस्तान मे हुई एक घटना जिसमे वहा का एक मंत्री पाकिस्तान के शरिया क़ानून मे कुछ सुधार लाना चाहता था जिस से पाकिस्तान की औरतो और दूसरे धर्मो के प्रति इस्लाम के नाम पर हो रहे अत्याचार को रोका जा सके उसका कत्ल कर दिया गया| जिहाद मुहम्मद ने काफिरो के प्रति चलाया था जिसमे काफिरो को मारो और उनके घर-औरतो पर कब्जा कर लो वो आज भी चल रहा है .....बांग्ला देश इसका उधारणा है जहा एक सर्वे से पता चलता है की आज भी वहाँ 98% हिंदू औरते मुसलमानो द्वारा बलात्कार का शिकार होती है| 3 बार तलाक़ बोलने की प्रथा मुहम्मद के जंमाने से थी आज भी है| 4 शादिया करने का अधिकार तब भी था और आज भी है | उस जंमाने मे भी इनका उद्देश् इस्लामिक देश कायम करने का था और आज भी है| . इस्लंसमूहम्मद हिन्दू महिलाओं को ज़बरन मुसलमान बनाओ, एक ना पाक मुसलमान का सनसनीखेज़ फतवा यह फतवा कहता है कि, “हिंदू लड़कियों को फंसा कर उन्हें मुस्लमान बनाओ, हिन्दुओं की सम्पति को हड़प लो और ज़बरन उनके खेतों और पशुओं पर कब्ज़ा करो.” इस सनसनीखेज फतवे को पूरे शहर में वितरित किया गया. सबसे महत्वपूर्ण बात, वितरकों सख्ती से आदेश दिए गए थे कि, “इस पत्र को किसी भी हिन्दू को नहीं दिया जाना चाहिए.” दैनिक ‘सामना’, संभाजीनगर संस्करण ने यह पत्र प्रकाशित किया है. इसकी सामग्री अत्यधिक आपत्तिजनक और सामाजिक शांति के लिए खतरा है. इस पत्र को पढ़कर देश में पल रहे और कुकुरमुते की भांति पनप रहे ऐसे असभ्य और शैतान वर्ग को कांग्रेस की सरकार और खुद को सेकुलर कहने वाले लोगों की शह मिल रही है. सेकुलर का वास्तविक अर्थ सिर्फ यहीं हो सकता है, इसे निम्नलिखित उदहारण से समझें जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (0) इस कॉमेंट से असहमत (0) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (0) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। (raj.hyd को जवाब )- डा. अनवर जमाल का कहना है: October 13,2011 at 10:37 AM IST प्रश्न करने से पहले अपनी नीयत दुरूस्त कीजिए राज जी ! आप केवल कुरआन पर प्रश्न करना ही क्यों चाहते हैं भाई ? 2. आपने वेद, उपनिषद, गीता, पुराण और रामायण आदि ग्रंथ भी तो पढ़े होंगे ? 3. क्या आपने उनके बारे में किसी ब्लॉग पर जाकर सवाल किए हैं ? 4. अगर हिंदू धर्म ग्रंथों के बारे में आपने सवाल नहीं किए हैं तो केवल कुरआन पर ही प्रश्न क्यों करना चाहते हैं ? किसी एक ग्रंथ विशेष पर ही सवाल करना यह बताता है कि आपको ज्ञान की तलाश नहीं है। ऐसे में आपके साथ समय नष्ट करने से क्या फ़ायदा ? 5. अपनी कुरीतियों के लिए मुगलों को जिम्मेदार ठहराना कैसे उचित है ? इयं नारी पतिलोकं वृणाना निपद्यत उप त्वा मर्त्य प्रेतम् . धर्मं पुराणमनुपालयंती तस्यै प्रजां द्रविणं चेह धेहि . -कृष्णयजुर्वेद, तैत्तरीय संहिता 6,1,13 तथा अथर्ववेद, 18,3,3 इसका अर्थ करते हुए 14 वीं शताब्दी के चतुर्वेद भाष्यकार सायण ने लिखा है- ‘यह नारी स्वर्ग अर्थात पतिलोक को प्राप्त करने की इच्छा से, हे मनुष्य, तुझ मृत के समीप पहुंचती है. तुम्हारे साथ जल मर रही है. यह ऐसा पुरातन धर्म का पालन करती हुई कर रही है. इस तरह तुम्हारे साथ मर रही इस स्त्री को जन्मांतर में इस लोक और परलोक में भी तुम पुत्र, पौत्र, धन आदि प्रदान करना. पत्नी के सती होने के कारण वह व्यक्ति ही जन्मांतर में भी उस का पति बनता है. इसी मंत्र को आधार बनाकर याज्ञवल्क्य स्मृति के व्याख्याकार ने सती प्रथा को वेदानुरूप घोषित किया. उसी को बाद के ग्रंथकार उद्धृत करते रहे हैं. पृष्ठ संख्या 649, पुस्तक- क्या बालू की भीत पर खड़ा है हिंदू धर्म ? लेखक- डा. सुरेंद्र कुमार शर्मा ‘अज्ञात‘ अब आप बताएं कि क्या यह कृष्णयजुर्वेद भी मुगलों ने ही लिखा था और क्या याज्ञवल्क्य और सायण के नाम से भी मुगलों ने ही लिख दिया है ? जब आप अपने धर्म और संस्कारों को ही नहीं जान पाए तो क्या ताज्जुब है कि कुरआन का अनुवाद आपकी समझ में नहीं आया। आप पहले तसल्ली से अपनी परंपराएं समझ लीजिए और पता लगाइये कि आपका कितना साहित्य मुगलों ने लिखवाया। इसके बाद जब आपके पास समय बचे तो आप यहां तशरीफ लाएं और सवाल करें। आपके हरेक सवाल का जवाब दिया जाएगा लेकिन पहले आपको उन नियमों पर सहमत होना होगा जिनका बयान हमने अपनी एक ताज़ा पोस्ट ‘दीन धर्म पर संवाद करने का सही तरीक़ा‘ में किया है। जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (0) इस कॉमेंट से असहमत (1) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (0) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। hauslewala@baagee का कहना है: $var October 12,2011 at 07:47 AM IST मैंने आप सभी के कम्मेन्ट्स पढ़े, अपने आप को रोक नहीं पाया हूँ. अभी तक यही देखा की सब अपने-अपने धर्म की पीपड़ी बजाने में माहिर है जमाल साहब नास्तिक ब्लॉग पर सबके अनुभव है तभी तो वो नास्तिक बने आपकी नजरों में, मैं तो ये कहता हूँ की सबसे बड़ा आस्तिक ही "नास्तिक" होता है क्यूंकि उसे किसी का डर नहीं होता निर्भरता नहीं होती अपने पर भरोसा करता है दूसरों की जिन्दगी नहीं जीता. एक सत्य को जानने के बाद ही वो नास्तिक बनता है आप जैसे लोग सत्य को जानना ही नहीं चाहते और अनजाने डरों में जीते रहते हो. अगर आपके दिल में मानवता के प्रति दया, करुणा और अपने प्रति इमानदारी व प्रेम नहीं है और सारा दिन छल,कपट, बेईमानी और मक्कारी से काम लेते हो तो फिर आप काहे के आस्तिक हुए ज़रा अप-अपने को चेक करके देख लेना. ब्लोग्स पर धर्मों को चमकाने की बजाय मानव धरम के प्रति लोगों को जागरूक करो तो कितना अच्छा है मगर नहीं इसमें तो नंबर कम हो जायेंगे ना तमगा नहीं मिलेगा.जिसे आप धर्म की बुराई कहते हो वो एक सच होता है हाँ निंदा करना ठीक बात नहीं है ये तो हाई-कोर्ट भी कहता है.आप लोग पता नहीं कहाँ से कोपी पेस्ट करते हो चेप देते हो एनबीटी ब्लॉग पर ज़रा एक ब्लॉग इमानदारी से टाइप करके देखो फिर पता लग जाएगा कैसे ब्लॉग लिखे जाते है यहाँ तो हफ्ते में एक ब्लॉग भी लिखा नहीं जता कायदे से और आप लोग हो दस-दस ब्लॉग चेप डालते हो फिर इमानदार कहाँ से रह गए आप. समाज में तो आप लोग पता नहीं क्या-क्या मक्कारियां करते होगे जब यहीं बाज नहीं आ रहे हैं ऊपर से अपने आप को आस्तिक बताते नहीं अघाते.ये मैं सभी के लिए लिख रहा हूँ अकेले जमाल साहब के लिए नहीं.राज जी की एक-एक बात अनुभव के आधार पर है न की कोपी-पेस्ट की हुई मैं इनकी बात से सौ फी सदी सहमत हूँ कहीं लाग-लपेट नहीं है आप लोग हो की चाशनी का मुल्लमा चढ़ा कर हर चीज को पेश करते हो. ज़रा आप मेरे फेस-बुक नोट्स में जाकर देखो हर प्रकार का सामाजिक चिंतन मिलेगा हौसलेवाला किसी धर्म की बुराई नहीं करता हाँ सच जरुर लिखता है जो की धार्मिक पुस्तकों में दर्ज कोई ये सब मेरी किताबों में तो दर्ज है नहीं मेरा-मकसद सिर्फ एक है कि सिर्फ लोगों को अपने पर भरोसा करना बताना ना की धर्म से डरकर जीना और निर्बरता को ख़त्म करना.इससे ज्यादा कुछ नहीं और वो मैं करता रहूँगा मरते दम तक. जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (0) इस कॉमेंट से असहमत (0) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (1) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। (hauslewala@baagee को जवाब )- डा. अनवर जमाल का कहना है: October 12,2011 at 09:42 AM IST भाई विनोद हौसलेवाला जी ! हम दिन भर में 3-4 पोस्ट्स लिख देते हैं तो आपने हमें छल कपट करने वाला, बेईमान और मक्कार तक कह दिया है। यह कहां कि नैतिकता है ? यह एक निहायत गिरी हुई हरकत है कि ज्ञान और अभ्यास तो अपना कम हो और दोष दूसरे को दिया जाए। इसके बजाय आप हमसे यह पूछ लेते कि हम इतनी सारी पोस्ट कैसे लिख लेते हैं ? सुनिए भाई साहब, हम आपकी तरह किसी टूल की मदद से नहीं लिखते बल्कि सीधे हिंदी में टाइप करते हैं और फिर उसे यूनिकोड में कन्वर्ट करके अपने ब्लॉग पर डालते हैं। इससे लिखने की गति भी तेज़ आती है और उसमें ग़लतियां भी कम होती हैं। हम पुराने ब्लॉगर हैं और आप अभी नए ब्लॉगर हैं। आपको ऐतराज़ करने और गालियां देने के बजाय हमसे सवाल करना चाहिए ताकि आपकी योग्यता और क्षमता में वृद्धि हो सके। आप को हम यह भी बताना चाहेंगे कि दुनिया की पहली हिंदी ब्लॉगिंग गाइड तैयार करने वाले भी हम ही हैं। गूगल में आप हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide लिखकर ढूंढेंगे तो आप हमारी इस गाइड तक पहुंच जाएंगे। आपको इस गाइड से काफी मदद मिलेगी और तब आप दिन में दस या बीस जितनी चाहे उतनी पोस्ट लिख सकते हैं। ब्लॉगिंग के बारे में आपकी समझ कच्ची है, ऐसे ही आपकी समझ ईश्वर, धर्म और इंसानी मूल्यों के बारे में भी कच्ची है। अपने ज्ञान को बढ़ाएं तब आपको ज्ञान का प्रकाश मिलेगा और आप नास्तिकता के अंधेरे से बाहर निकल आएंगे। याद रखिए कि बाबा साहब अंबेडकर ने भी धर्म को कभी नहीं नकारा और उनकी समझ आप से ज्यादा थी। बाबा साहब का पूरा जीवन सच्चे धर्म की खोज में ही गुजरा और जिस धर्म को उन्होंने सच्चा और अच्छा समझा उसे ग्रहण कर लिया। जब कि आप धर्म को ही नकारते हैं। ...और थोड़ा सा बात करने का सलीक़ा भी सीखिए कि जहां पढ़े लिखे लोगों की महफ़िल हो वहां कैसे बात की जाती है ? हमें आपसे प्यार है सो आपको हम यही चंद नसीहत करते हैं। इन्हें आप मानेंगे तो आपका ही भला होगा। जल्दी ही हम आपके लिए एक पोस्ट यहां पेश करेंगे, जिसमें यूनिकोड में बदलने की पूरी विधि का बयान किया जाएगा। आपका बार बार यहां स्वागत है। धन्यवाद ! Link Hindi Blogging Guide :- http://www.hindi-blogging-guide.blogspot.com/ जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (0) इस कॉमेंट से असहमत (0) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (0) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। (डा. अनवर जमाल को जवाब )- hauslewala का कहना है: October 14,2011 at 08:49 AM IST ठीक है जमाल साहब मेरा तो उसूल है अगर गलती हुई है तो माफ़ी मांग लो इससे कोई छोटा या बड़ा नहीं हो जाता आपकी राय फोलो करूंगा. जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (0) इस कॉमेंट से असहमत (0) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (0) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। (hauslewala को जवाब )- डा. अनवर जमाल का कहना है: October 14,2011 at 10:48 AM IST विनोद कुमार हौसले वाला जी ! अपनी ग़लती को मानने के लिए और उसके लिए माफ़ी मांगने के लिए बहुत बड़ा हौसला चाहिए और वह हौसला आपके पास है। आप सचमुच ही हौसलेवाला हैं। हम भी ऐसा ही करते हैं, इसलिए जानते हैं। हम आपको अपना भाई मानते हैं और आपको ब्लॉगिंग के फ़ील्ड में जब भी कोई मदद की ज़रूरत हो तो हम सदैव आपकी मदद करेंगे। ऐसा आप विश्वास रखिएगा। आपको कभी ग़लत सलाह न दी जाएगी। धन्यवाद ! इस कॉमेंट से सहमत (1) इस कॉमेंट से असहमत (0) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (1) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। (डा. अनवर जमाल को जवाब )- hauslewala@baagee का कहना है: October 13,2011 at 04:55 AM IST माफ़ करना जमाल साहब, मेरा खाली आपको ही टार्गेट करना नहीं है एक बार फिर दुबारा पढ़ना अगर आप अपनी जगह इमानदारी से काम कर रहे है फिर तो आपको कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए ये सिर्फ उनके लिए जो अपने को आस्तिक कहते है और दिलों में फरेब और मक्कारी रखते है. आपकी अगर मेरे लिखे से आप को अगर दुःख पहुंचा है तो मैं आपसे माफ़ी चाहता हूँ. जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (0) इस कॉमेंट से असहमत (0) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (1) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। (hauslewala@baagee को जवाब )- डा. अनवर जमाल का कहना है: October 13,2011 at 10:41 AM IST विनोद भाई ! जाने दीजिए, कोई बात नहीं लेकिन यह देखकर अच्छा लगा कि आप हमारी बात समझ गए हैं। आपके लिए हमने इसी ब्लॉग पर एक पोस्ट लिखी है ‘हिंदी फ़ॉण्ट्स यूनिकोड में बदलना‘ आप उसे देखें आपको लाभ मिलेगा। धन्यवाद ! इस कॉमेंट से सहमत (1) इस कॉमेंट से असहमत (0) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (0) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। raj.hyd का कहना है: $var October 11,2011 at 06:52 PM IST माननीय अनवर जी हम किसी से नफ़रत नहीकरते ! अगर नफ़रत करते होते तो आपको भी सम्मानित शब्दो से बात नही करते ?प्रश्न ज़रूर करते है ! क्या मुहम्मद जी के समय से क़ुरान पर प्रश्न नही किए गये? तब हम करते है तो तकलीफ़ क्यो होती है ?हम कोई अनोखे व्यक्ति नहीहै, और न पहले व्यक्ति 1 क्या करोड़ो मुस्लिम शराब नही पीते ? जुआ नही खेलते ब्याज नही लेते /अगर लड़कियो को जिंदा दफ़न छोड़ दिया तो नारी को गुलाम बनाकर सेक्स किया वा करवाया महिलाए सेक्स के लिए बनती गई खुद मुहम्मद जी ने एक दासी से बच्चा पैदा किया 1 यानी कन्या को डफन न करके अवैध सेक्स केलिए तैयार किया गया 1हम जिंदा दफ़न के समर्थक नही है , वह भी बुरा है और दासियों से सेक्स करना भी बुरा है ! साथ मे हम यह भी मानते है की, करोड़ो मुस्लिम ब्याज नही लेते जुआ नही खेलते, कोई भी नशा नही करते ! यह तो हर समुदाय मे होते है कही कम कही ज़्यादा ? हमने आज तक कोई भी किसी भी प्रकार का सामर्थ्य होते हुए इन गंदे कामो पर हाथ नही डाला ! ब्याज काफ़ी दिया है लेकिन ब्याज लिया नही ! जब की हम ब्याज के समर्थक भी है 1 अगर कोई बैंक मे धनज़मा करता है बैंक वाले उससे लाभ उठाते है तब हम ब्याज क्यो न ले ? बुढ़ापे मे हम कैसे जीवित रहा पाएँगे सभी मनुष्य आमिर नही हो सकते ! आर्थिक परेशानियो से दो चार होना पड़ता है ! क़ुरान के आने के पहले भी बहुत से स्थानो मे शांति थी , सदाचार था ! और जो क़ुरान को हरगिज़ सम्मान नही देते , उनमे भी कई करोड़ लोग अच्छे भी है व खराब भी है क़ुरान को मानने वाले भी कई करोड़ अच्छे भी है व बुरे भी है !अब बात लीजिए लिगानुपात की ! कथितअल्लाह ने बड़ी आसानी से कहा दिया की मुस्लिम चार तक निकाह कर सकते है ! ज़रा कोई भी मुस्लिम देश बतलाइए जिसमे महिलाए कुछ भी ज़्यादा हो सभी मुस्लिम देशो मे महिलाए कम है व पुरुष ज़्यादा? अल्लाह ने इसकी व्यवस्था क्यो नही की ? वह इस समय लाचार क्यो है ? अब क्या होगा ? जब आप अपने भाई का ही हिस्सा मारेंगे ! तब क्या होगा ?फिर अवैध संबंध बनेंगे !इस जमाने मे सेक्स की पूर्ति तो मनुष्य कहींन कही करेगा ही ! हम मुस्लिम तो क्या किसी भी मनुष्य से नफ़रत नही करते हाँ वैचारिक मतभेद ज़रूर रखते है उसको यहाँ प्रदर्शित भी करते है ! आप हमको खुल कर जवाब दीजिए ! क़ुरान के मानने वाले व सभी समुदायो को असंखयबार प्रेम से धन्यवाद ! जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (1) इस कॉमेंट से असहमत (1) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (1) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। (raj.hyd को जवाब )- डा. अनवर जमाल का कहना है: October 11,2011 at 11:36 PM IST ...हम इस्लाम में आस्था रखते हैं और इस्लाम पर उठने वाले हरेक सवाल का जवाब तर्कपूर्ण रीति से देने के लिए तैयार हैं लेकिन जो लोग यहां ऐतराज़ करने आते हैं वे भी तो बताएं कि वे किस धर्म-मत-संप्रदाय में आस्था रखते हैं। जब वे हमें ग़लत समझते हैं तो खुद तो वे ज़रूर किसी न किसी सही आचार संहिता पर आस्था रखते होंगे और फिर उसके अनुसार चलते भी होंगे। चाहे कोई नास्तिक ही क्यों न हो, उसका भी यहां स्वागत है वह आए और यहां हमसे इस्लाम के बारे में सवाल करे लेकिन तब हम भी उसकी विचारधारा के बारे में उससे सवाल करेंगे। एक सवाल हमसे कीजिए तो हमारे भी एक सवाल का जवाब दीजिए, तभी तो पता चलेगा न कि कौन कितने पानी में है ? वर्ना तो अपनी पहचान छिपाकर सवाल पूछना और फिर खिसक लेना कौन सी बड़ी बात है ? आइये, जितने चाहे पूछिए हमसे सवाल, हम आपकी वैचारिक आज़ादी और आलोचना के अधिकार का सम्मान करते हैं . जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (0) इस कॉमेंट से असहमत (0) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (0) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। (raj.hyd को जवाब )- डा. अनवर जमाल का कहना है: October 11,2011 at 11:15 PM IST ...क्या आप यह बात जानते हैं कि एक ईश्वर की उपासना और उसी का आदेश मानने का प्रचार करने की जो दूसरी सज़ाएं उन्हें दी गईं उनके साथ साथ पैग़ंबर साहब को लगभग ढाई साल तक ‘इब्ने अबी तालिब‘ की घाटी में क़ैद रखा गया और इस लंबे अर्से में मक्के के किसी भी व्यापारी ने उन्हें अन्न का एक दाना तक नहीं बेचा यानि मुकम्मल बहिष्कार। इस क़ैद और इस बहिष्कार में मुहम्मद साहब सल्ल. अकेले नहीं थे बल्कि उनके साथ उनका पूरा क़बीला था और उनके साथ ये सारी तकलीफ़ें उन लोगों ने भी उठाईं जो कि पैग़ंबर साहब के धर्म पर आस्था नहीं लाए थे लेकिन फिर भी उन्होंने उनका साथ दिया क्योंकि वे उनसे प्यार करते थे और उन्होंने पैग़ंबर साहब को कभी दुश्मनों के हाथ नहीं सौंपा। उनके क़बीले के दूध पीते बच्चों और औरतों को भी यह दर्दनाक कष्ट झेलना पड़ा। इस तरह के वाक़यात इस्लाम विरोधी अपने लिट्रेचर में नहीं छापते, इसलिए आपको पता भी नहीं होंगे। आप इस्लाम को औरत विरोधी बता रहे हैं लेकिन आपको पता नहीं होगा कि पैग़ंबर साहब सल्ल. के उपदेश पर सबसे पहले आस्था व्यक्त करने वाली भी एक औरत ही थी और वह भी एक औरत ही थी जिसे इस्लाम पर ईमान लाने के जुर्म में इस्लाम विरोधियों ने क़त्ल कर दिया। जब आप पैग़ंबर साहब की जीवनी पढ़ेंगे तभी आपको पता चलेगा कि उन्होंने क्या कहा था और उनके साथ क्या किया गया था ? इसके बाद आप कुरआन का कोई ऐसा अनुवाद पढ़ें जिसमें थोड़ा विस्तार से आयतों का संदर्भ प्रसंग भी बताया गया हो ताकि आप जान लें कि कौन सी आयतें सामान्य जीवन के लिए हैं और कौन सी आयतें युद्ध काल और आपत्ति काल के लिए हैं। तब ही आपको यह पता चल पाएगा कि जब ज़ुल्म अपनी सारी हदें पार कर गया तो मुहम्मद साहब सल्ल. मक्का से चले आए और मदीना के लोगों को उपदेश देना शुरू किया तो उनके क़त्ल के इरादे से उनके दुश्मनों मक्का से आकर मदीना पर हमला कर दिया। तब मुसलमानों को अपने पैग़ंबर, अपने दीन और खुद अपनी जान की हिफाजत के लिए हथियार मजबूरन उठाने पड़े और इन युद्धों में जब बहुत से मुसलमान मारे गए और उनकी विधवाएं बेसहारा हो गईं तो यह हुक्म दिया गया कि मुसलमान उन विधवाओं से निकाह कर लें ताकि उन्हें आर्थिक , सामाजिक और मनोवैज्ञानिक सहारा मिल सके। विधवाओं का इससे ज़्यादा अच्छा पुनर्वास कुछ और हो सकता हो तो आप भी सोच कर बताएं और ...... जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (0) इस कॉमेंट से असहमत (0) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (0) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। (raj.hyd को जवाब )- डा. अनवर जमाल का कहना है: October 11,2011 at 11:21 PM IST ...विधवाओं का इससे ज़्यादा अच्छा पुनर्वास कुछ और हो सकता हो तो आप भी सोच कर बताएं और यह भी याद रखें कि यह वह दौर था जबकि विधवाओं को अभागिन और मनहूस समझा जाता था और उन्हें सहारा देने के बजाय उन्हें ज़िंदा जला दिया जाता था और ऐसा करने वाले यह कहते थे कि विश्व में हमसे ज़्यादा सभ्य कोई है ही नहीं। जब आप इस्लाम के मूल स्रोतों को ढंग से पढ़ लेंगे तो आपकी बहुत सी आपत्तियां दूर हो जाएंगी लेकिन कुछ फिर भी बनी रहेंगी और कुछ इस अध्ययन के दौरान पैदा होंगी। ये आपत्तियां वास्तव में ऐसी होंगी जिन्हें अध्ययन के दौरान पैदा होने वाली आपत्तियां कहा जाएगा और उनका निराकरण भी किया जाएगा। क्योंकि किसी भी विषय के अध्ययन के दौरान इस तरह की आपत्तियां पैदा होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। हम ऐसी आपत्तियों का स्वागत करते हैं क्योंकि ज्ञान इसी तरह बढ़ता है और ज्ञान इसी तरह फैलता है। दूसरी बात आपको यह जान लेनी चाहिए कि ये आपत्तियां आप पहली बार नहीं कर रहे हैं और इन सभी का जवाब दिया जा चुका है जिनमें से कुछ के जवाब हिंदी में नेट पर भी देखे जा सकते हैं। जब भी आपको उनका लिंक दिया जाता है तो आप मज़ाक़ उड़ाने लगते हैं। यह क्या तरीक़ा है ? क्या लिंक देना ग़लत बात है ? जिस बात को लिखा जा चुका है तो क्या उसी बात को हर बार नए सिरे से लिखा जाए ? आपके बाद फिर कोई तीसरा बंदा यही सवाल लाएगा तो उसे इस पोस्ट का लिंक ही दिया जाएगा न कि उसके लिए फिर नए सिरे से लिखा जाएगा। इस तरह मज़ाक़ वही उड़ाता है जिसके दिल में सच जानने की कोई ख्वाहिश नहीं होती बल्कि बस चलते हुए काम में अड़चन डालकर मज़ा लेने के लिए या खुद को सुपर दिखाने के लिए कुछ ऐतराज़ कर दिए जाते हैं। आपसे और आप जैसे दूसरे भाईयों से जब भी ‘कुरआन पढ़ो‘ कहते हैं तो भी मज़ाक़ बनाने लगते हैं। भाई जब आप कुछ सवाल कर रहे हैं तो जवाब में आपको कुछ पढ़ने के लिए ही तो कहा जाएगा। आप लोगों को लिंक पर भी ऐतराज़ है और आपको ‘कुरआन पढ़ो‘ की सलाह देने पर भी। फिर बताइये कि आप अपनी आपत्तियों का निराकरण किस प्रकार चाहते हैं ? अगर आप यह चाहते हैं कि आपके हरेक सवाल का जवाब यहीं लिखकर दिया जाए तो यही सही लेकिन आप सभी जानते हैं कि सवाल एक-दो लाइन का होता है और जवाब में लिखना पड़ता है लंबा चौड़ा। लिहाज़ा यह नहीं चलेगा कि आप आए और खिल्ली उड़ाई और दस बीस सवाल लिखे और निकल लिए। जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (0) इस कॉमेंट से असहमत (1) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (0) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। (raj.hyd को जवाब )- डा. अनवर जमाल का कहना है: October 11,2011 at 11:08 PM IST दीन-धर्म पर संवादा का सही तरीक़ा :- राज जी ! आप कहते हैं कि हम किसी से नफ़रत नहीं करते और बातें आप नफ़रत की ही करते हैं। आप अब तक अपनी टिप्पणियों को देख लीजिए, उनमें जब भी आप इस्लाम, कुरआन और पैग़म्बर साहब का ज़िक्र करते हैं तो कितनी नफ़रत के साथ और कितने तिरस्कार के साथ करते हैं। इसमें हम आपकी ग़लती ज़्यादा नहीं मानते। जब आदमी किसी विशेष पारिवारिक पृष्ठभूमि में पला बढ़ा हो या इस्लाम के विरूद्ध नफ़रत रखने वाले चिंतकों के साथ उठता बैठता हो और खुद अपनी अक्ल खोलकर सोचता न हो तो उसकी दशा यही बनेगी। दूसरी ओर आप हमें देखिए और आप इस पूरे ब्लॉग को पढ़ लीजिए, आपको कहीं भी हमारी ओर से इस तरह के ऐतराज़ हिंदू महापुरूषों पर नहीं मिलेंगे, प्यार ऐसे होता है। केवल कह देना ही काफ़ी नहीं होता। इस्लाम के विरूद्ध प्रचार कोई नई बात नहीं है। इस्लाम के विरूद्ध हरेक भाषा में बहुत सा ऐसा सहित्य आपको मिल जाएगा जो कि इस्लाम की गलत जानकारी देने के लिए ही लिखा गया है। इस्लाम के खिलाफ नफरत भरा साहित्य पढ़कर या ऐसे प्रवचनों से इस्लाम की जानकारी लेना ऐसा ही है जैसे कि कोई विदेशी टूरिस्ट ‘कसाब‘ के मुंह से भारतीय संस्कृति की जानकारी लेना चाहे, क्या उसे भारतीय संस्कृति की सही जानकारी का स्रोत माना जा सकता है ? आप पहले इस्लाम के बारे में उसके प्रामाणिक स्रोतों से जानकारी हासिल कीजिए और उसका तरीका यह नहीं है कि कुरआन के विरोध में लिखे गए साहित्य को पढ़ लिया और फिर कहीं से कुरआन का अनुवाद लेकर उसमें उन आयतों को मिला लिया और समझ लिया कि हम समझ गए। बल्कि इसका तरीका यह है कि आप पहले मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जीवनी पढ़ें ताकि आपकी जानकारी में यह बात आ जाए कि उनके साथ मक्का और मदीना में क्या क्या अत्याचार किए गए ? जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (0) इस कॉमेंट से असहमत (0) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (0) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। SB का कहना है: October 11,2011 at 05:54 PM IST साहब उन नास्तिकों की बात एकदम सही है । लेकिन वो अपनी बात रखने मे जल्दी कर रहे हैं । अभी १०० साल की राह देखने की जरूरत है । अभी आदमी इन्सान नही बन पाया है, जन्गली ही है । जन्गली को ईश्वर या अल्लाह का डर दिखाना जरूरी है । दुनिया भर के संविधान भी अपने बडे बडे नेता को जन्गली समजते हुए पद पर बैठाने से पेहले भगवान से डराया करते है, शपथ दिला के । कोर्ट भी बयान देनेवालो को गीता या कुरान से डरा देती है । मामला बडा पेचिदा है । अभी नास्तिकों को तो यही सोचना है की हम तो इन्सान बन गये लेकिन सब नही । ये मान के चुप हो जाना चाहिये की जो था ठीक था, जो है ठीक है, जो होगा ठीक ही होगा । बधाई आप क ईस पोस्ट के लिए । जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (2) इस कॉमेंट से असहमत (2) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (2) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। Ranjan Maheshwari का कहना है: $var October 11,2011 at 05:17 PM IST नास्तिकता इस्लाम में कुफ्र है. सोच लीजिए, नास्तिकता को बढ़ावा देने वाले ब्लॉगर को क्या कहा जाएगा? इस्लाम का दिल अभी इतना बड़ा नही है कि नास्तिक दर्शन पर चर्चा कर सके. वैसे क़ुरान नास्तीकोण के लिए क्या कहती है? जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (2) इस कॉमेंट से असहमत (2) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (2) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। (Ranjan Maheshwari को जवाब )- डा. अनवर जमाल का कहना है: October 11,2011 at 05:35 PM IST इस्लामी तत्वदर्शियों ने नास्तिक दर्शन के उसूलों पर बहुत खुल कर बहस की है, अगर आप इमाम ग़ज़ाली और इमाम राज़ीकी बुक्स पढ़ें तो आपकी ग़लतफहमी दूर हो जाएगी, भाई . जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (1) इस कॉमेंट से असहमत (1) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (1) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। (डा. अनवर जमाल को जवाब )- Ranjan Maheshwari का कहना है: October 12,2011 at 05:57 AM IST इमाम ग़ज़ाली और इमाम राज़ीकी बुक्स आपको ही मुबारक, हम सिर्फ कुरान और हदीस के बारे में पूछ रहे हैं. हमें तो सिर्फ जमाल खान जी अपने दिल पर हाथ रख कर जवाब दे दें वही काफी है. मेरा सवाल अभी भी हवा में ही टंगा है. जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (0) इस कॉमेंट से असहमत (1) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (0) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। (Ranjan Maheshwari को जवाब )- डा. अनवर जमाल का कहना है: October 13,2011 at 10:49 AM IST ...तो फिर आपका ऐतराज़ भी आपको ही मुबारक ! ऊपर हमने राज जी से कुछ कहा है, वह आप के लिए भी है बल्कि हरेक उस आदमी के लिए है जो कि कुरआन हदीस पर प्रश्न करना चाहता है। कृप्या आप उसे ध्यान से पढ़ें और उन बिंदुओं का जवाब दें ताकि हमें लगे कि जितना आपके साथ लगाया जा रहा है, वह नष्ट नहीं हो रहा है। समय सबसे मूल्यवान चीज़ है भाई , इसे यूं ही तो नष्ट नहीं किया जा सकता न ! इस कॉमेंट से सहमत (0) इस कॉमेंट से असहमत (0) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (0) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। raj.hyd का कहना है: $var October 11,2011 at 05:04 PM IST खुदा की किताबको देख कर ही खुदा से मुन्किर [इनकार करने वाली ]हुई है दुनिया ,जिस खुदा का इल्म ऐसा हो वह कोई अच्छा खुदा नही है 1" जब कोई समझदार मनुष्य देखता है की कथित धर्म मे कितना पाखंड मिला हुआ है उसके मानने वालो मे कितना अंध विश्वास कुरीति ढोंग पाखंड का आचरण है और किताबेव धर्म का उपदेश देने वालो मे कथनी और करनी मे भारी अंतर है ! तब उसको इन कथित धर्म से नफ़रत हो जाती है लेकिन जब वह विवाह आदि करता या करवाता है टबपरिवार के दबाव मे कुछ न कुछ पाखंड आदि मे मजबूरन शामिल हो जाता है ! वहशालीनता वश व कुछ मजबूरी मे परिवार से विद्रोह नही कर पाता! अगर उसको परिवार के अन्य सदस्यो का सहारा मिल जाए तो वह यह भी करके दिखला दे !यह उसकी आर्थिक व सामाजिक मजबूरी बन जाती है 1 दोष उस व्यक्ति का नही अपितु धार्मिक कहे जाने वाले विद्वांो का कर्तव्य है की वह अपने जीवन मे उपदेश व आचरणमे समानता लाए तभी संसार का भला हो सकेगा ! और जो अपने को धार्मिक कहते है उनको कहिए अपनीकथित धार्मिक किताबो का "नंगी आँखों से" उसका अध्ययन करे 1उसकी जाँच करे तर्क वितर्क करे , 24 कैरेट सोने की तरह जब खरी बात पाए ! तब उसकोअपनाए व दूसरो को अपनाने की शिक्षा दे ! बाकी को छोड़ दे ,किसी भी किताबको अंधे बन कर जानवर की तरह आचरण हरगिज़ न करे ! तभी संसार के मनुष्यो का कायाकल्प हो सकेगा 1 एक सच्चा धार्मिक माहौल भी बन सकेगा 1 और नास्तिकता भी समाप्त हो जाएगी ! जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (2) इस कॉमेंट से असहमत (2) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (2) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। (raj.hyd को जवाब )- डा. अनवर जमाल का कहना है: October 11,2011 at 05:41 PM IST भाई खुदा की किताब को देख कर तो लोगों ने नशा , जुआ और ब्याज का धंधा छोड़ दिया , अपनी लड़कियों को ज़िंदा दफ़्न करना छोड़ दिया और जो लोग ये काम आज भी कर रहे हैं उन्होने दुनिया की किताबें तो पढ़ीं हैं लेकिन खुदा की किताब ही नहीं पढ़ी है. आज उनके समाज में लिंगानुपात में भारी गड़बड़ हो गयी है. खैर , आप भी नफ़रत कब तक करेंगे , जब आपकी नफ़रत का जवाब हम मुहब्बत से देंगे . आपका शुक्रिया . जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (1) इस कॉमेंट से असहमत (1) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (1) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। Jan का कहना है: $var October 11,2011 at 04:41 PM IST ऐसा क्यो है की हिन्दुओ को नास्तिकता सीखने वाले इस ब्लॉग पर सभी मुसलमान है और सारे क्रॉस रेफरेन्स भी मुसलमानो की सीटे के है...पहले खुद नास्तिका बनो फिर दूसरो को नास्तिकता सिख़ाओ.... जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (6) इस कॉमेंट से असहमत (2) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (2) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। (Jan को जवाब )- Dr. Anwer Jamal का कहना है: October 11,2011 at 05:22 PM IST जान भाई ! जो आपने कहा , कुछ समझ में नहीं आया , ज़रा सॉफ सॉफ खुल कर बता देंगे तो बड़ी महरबानी होगी आपकी . जवाब दें इस कॉमेंट से सहमत (1) इस कॉमेंट से असहमत (1) बहुत बढ़िया कॉमेंट है! (1) यह कॉमेंट आपत्तिजनक है [marked_Offensive.gif] आपका कॉमेंट दर्ज़ हो गया है। हमारे मॉडरेटर द्वारा अप्रूव होने के बाद यह साइट पर आ जाएगा। बुकमार्क करें। आपका कॉमेंट पोस्ट हो चुका है। यह यहां नज़र आएगा। अपना कॉमेंट लिखें ____________________ आपका नाम* ____________________ आपका ईमेल* ____________________ आपकी वेबसाइट (न दें तो भी चलेगा) अपना ऑप्शन चुनें कॉमेंट लिखने के बाद बाईं तरफ के बक्सों में अपने बारे में जानकारी डालें या फिर अपने फेसबुक अकाउंट से साइन इन करें। फेसबुक साइन-इन के लिए नीचे क्लिक करें। Connect * इन्हे भरना ज़रूरी है | नीचे चार ऑप्शन दिए गए है। हिंदी टाइपिंग (इन्स्क्रिप्ट) जाननेवाले पहला ऑप्शन चुनें। हिंदी टाइपिंग नहीं जानते तो दूसरा ऑप्शन चुनें जिससे आप अंग्रेज़ी अक्षरों में लिखकर हिंदी में टाइप कर सकते हैं – meri raay hai...अपने-आप मेरी राय है... में बदल जाएगा। आप चाहें तो चौथा ऑप्शन चुनकर वर्चुअल कीबोर्ड की मदद भी ले सकते हैं। अगर इंग्लिश में ही लिखना है तो तीसरा ऑप्शन चुनें। हिंदी में लिखे (इनस्क्रिप्ट) | हिंदी में लिखे (अग्रेज़ी अक्षरो में) | Write in English | वर्चुयल कीबोर्ड [_] डिक्शनरी दिखाएं | __________________________________________________ __________________________________________________ __________________________________________________ __________________________________________________ __________________________________________________ __________________________________________________ __________________________________________________ __________________________________________________ __________________________________________________ __________________________________________________ __________________________________________________ __________________________________________________ __________________________________________________ __________________________________________________ __________________________________________________ अक्षर हो गए हैं (अधिकतम 2000 अक्षर) [BUTTON Input] (not implemented)___________________ कॉमेंट को पढ़ने के बाद ही अप्रूव किया जाएगा। मुद्दे से अलग और आपत्तिजनक भाषा में लिखे गए कॉमेंट पब्लिश नहीं किए जाएंगे। इस ब्लॉग को सबस्क्राइब करें [problemInBlog.gif] अगर आपको लॉग-इन करने में दिक्कत है, तो ईमेल में यह भी बताएं: 1. अपना यूज़रनेम और पासवर्ड 2. आप कैसे लॉग-इन करते हैं (फेसबुक, ट्विटर या इंडियाटाइम्स मेल) कल्चर में ताज़ा पोस्ट ओशो रहस्यदर्शी 26 जनवरी स्पेशल घरको खूबसूरत बनाए...... हमारा गणतंत्र रावण का पुतला सारे देखें डा. अनवर जमाल ख़ान की ताज़ा पोस्ट जानिये कि राष्ट्र गान का अर्थ क्या है ? 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सफ़ेद बाल काले कीजिए नीम से मर्द को शक्तिशाली बनाता है आयुर्वेद जानिये कि हिन्दुओं ने चोटी, जनेऊ, हवन और वेदपाठ किसके प्रभाव में छोड़ा ? बलात्कार का इतिहास इण्डिया से भारत तक भारतीय सैनिकों की बर्बर हत्या देश के अंदरूनी दुश्मनों को भी बेनक़ाब करती है गर्भावस्था में अंडे व मांस के सेवन से शिशु को फायदा 'आओ क़ुरआन और नमाज़ समझें‘ उसे आवारा या बदचलन मत कह देना सफ़ेद बाल काले कीजिए नीम से नंगी लड़कियों से जान बचाई सास के साथ रेप ??? मर्द को शक्तिशाली बनाता है आयुर्वेद पत्नी चाहती क्या है? मासिक धर्म: एक कुदरती प्रक्रिया सारे देखें डा. अनवर जमाल ख़ान की टॉप रेटेड पोस्ट * दिन * | * सप्ताह * | * महीना * | * साल जानिये कि हिन्दुओं ने चोटी, जनेऊ, हवन और वेदपाठ किसके प्रभाव में छोड़ा ? 5 में से 2.48 हिंदी ब्लॉगिंग के सामने संकट का एक सच्चा विश्लेषण 5 में से 4.86 'आओ क़ुरआन और नमाज़ समझें‘ 5 में से 4.20 जानिये कि हिदू विवाह को संस्कार से क़रार किसने और कैसे बनाया ? 5 में से 3.06 भारतीय सैनिकों की बर्बर हत्या देश के अंदरूनी दुश्मनों को भी बेनक़ाब करती है 5 में से 2.91 बलात्कार का इतिहास इण्डिया से भारत तक 5 में से 2.87 जानिये कि हिन्दुओं ने चोटी, जनेऊ, हवन और वेदपाठ किसके प्रभाव में छोड़ा ? 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